CTET Hindi Language test paper 001

Ctet Hindi Language Test Paper

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CTET Hindi Language Test Paper 001

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भाषा अधिगम में चुनौतीपूर्ण अवधि कौन सी है  ?

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निम्नलिखित में से कौन सा शब्द भंडार शिक्षण का उद्देश्य नहीं है  ?

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प्रत्यक्ष ( निर्देश ) विधि किस बात पर निर्भर करती हैं  ?

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मनु भाषा की नए-नए अध्यापिका है । उसे किस पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए  ?

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भाषा की कक्षा में कौन सा उदाहरण प्रामाणिक सामग्री का उदाहरण नहीं है  ?

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निम्नलिखित में से कौन सा  ' समग्र भौतिक प्रतिक्रिया ' का सिद्धांत नहीं है ?

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सृष्टि की कक्षा में ,  एक विद्यार्थी अपने मित्र से अपने स्वप्न के बारे में कहते हैं और उसकी मित्र उसके प्रश्न का उत्तर देती है ।

सृष्टि किस युक्ति का प्रयोग कर रहे हैं ?

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मिनी चाहती है कि उसके विद्यार्थी अपनी पठन सामग्री का सारांश जान ले उसे किस पठन सामग्री का प्रयोग नहीं करना चाहिए  ?

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निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता व्याकरण अनुवाद विधि की विशेषता नहीं है  ?

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निम्नलिखित में से कौन सी विशेषता भाषा अधिगम के संप्रेषणात्मक उपागम की विशेषता नहीं है ?

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गीता की कक्षा के अधिकतर बच्चे अप्रवासी हैं ,वे पहली बार अंग्रेजी सीख रहे हैं , गीता उनके घर की भाषा का प्रयोग करती है और साथ ही धीरे-धीरे अंग्रेजी के शब्दों का प्रयोग शुरु करते हैं और अंग्रेजी में निर्देश देती है । गीता अपनी कक्षा में किसका संवर्द्धन कर रही है  ?

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अंशु कक्षा आठ में पढ़ाती है और अपने विद्यार्थियों के शब्द भंडार में वृद्धि करना चाहती है । शब्द भंडार में वृद्धि का सर्वोत्तम तरीका क्या है  ?

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सुजाता चाहती है कि उसके विद्यार्थी शब्दों की सही वर्तनी लिखें । उसे अपने विद्यार्थियों की कैसे मदद करनी चाहिए  ?

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रीमा ने अपने विद्यार्थियों को एक कहानी सुनाई है । कहानी सुनाने के बाद उसने अपने विद्यार्थियों को उस कहानी का अंत बदलने के लिए कहा ।

इस गतिविधि से रिया अपने विद्यार्थियों के लिए क्या करना चाह रही है  ? 

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

अधिकांश देशों में शिक्षा की आधुनिक राष्ट्रीय प्रणाली सैद्धांतिक और कागजी स्तर पर बच्चों के भौतिक बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है , लेकिन व्यवहार में स्कूली शिक्षा विरले ही ऐसे मौके और बौद्धिक साधन देती है , जिससे बच्चे अपने सामाजिकृत अन्तस पर विचार कर पाए । साधारणतः शिक्षा की ये प्रणालियां बच्चों की चिंतनपरक क्षमताएं विकसित करने की  बजाए उनमें वफादार नागरिक के लक्षणों को परिष्कृत करने में लगी रहती है । जहां तक अतीत की पढ़ाई से संबंध है विभिन्न शिक्षा प्रणालियां बच्चों को एक स्वीकृत राष्ट्रीय अतीत में समाजिकृत करने का कार्य करती है । परिवार में संपन्न होने वाली प्राथमिक सामाजिकरण से भिन्न , द्वितीयक समाजीकरण की संस्था की तरह स्कूल राष्ट्र के अतीत का स्वीकृत ज्ञान बच्चों को देता है । किसी भी देश में प्रचलित परिस्थितियों के अनुसार यह भूमिकाएं कानून के पालन से लेकर युद्ध के समय देश के लिए मरने तक की हो सकती है ।

'राष्ट्रीय ' में प्रत्यय है  :

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

अधिकांश देशों में शिक्षा की आधुनिक राष्ट्रीय प्रणाली सैद्धांतिक और कागजी स्तर पर बच्चों के भौतिक बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है , लेकिन व्यवहार में स्कूली शिक्षा विरले ही ऐसे मौके और बौद्धिक साधन देती है , जिससे बच्चे अपने सामाजिकृत अन्तस पर विचार कर पाए । साधारणतः शिक्षा की ये प्रणालियां बच्चों की चिंतनपरक क्षमताएं विकसित करने की  बजाए उनमें वफादार नागरिक के लक्षणों को परिष्कृत करने में लगी रहती है । जहां तक अतीत की पढ़ाई से संबंध है विभिन्न शिक्षा प्रणालियां बच्चों को एक स्वीकृत राष्ट्रीय अतीत में समाजिकृत करने का कार्य करती है । परिवार में संपन्न होने वाली प्राथमिक सामाजिकरण से भिन्न , द्वितीयक समाजीकरण की संस्था की तरह स्कूल राष्ट्र के अतीत का स्वीकृत ज्ञान बच्चों को देता है । किसी भी देश में प्रचलित परिस्थितियों के अनुसार यह भूमिकाएं कानून के पालन से लेकर युद्ध के समय देश के लिए मरने तक की हो सकती है ।

'आधुनिक ' का विपरितार्थी शब्द है : 

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

अधिकांश देशों में शिक्षा की आधुनिक राष्ट्रीय प्रणाली सैद्धांतिक और कागजी स्तर पर बच्चों के भौतिक बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है , लेकिन व्यवहार में स्कूली शिक्षा विरले ही ऐसे मौके और बौद्धिक साधन देती है , जिससे बच्चे अपने सामाजिकृत अन्तस पर विचार कर पाए । साधारणतः शिक्षा की ये प्रणालियां बच्चों की चिंतनपरक क्षमताएं विकसित करने की  बजाए उनमें वफादार नागरिक के लक्षणों को परिष्कृत करने में लगी रहती है । जहां तक अतीत की पढ़ाई से संबंध है विभिन्न शिक्षा प्रणालियां बच्चों को एक स्वीकृत राष्ट्रीय अतीत में समाजिकृत करने का कार्य करती है । परिवार में संपन्न होने वाली प्राथमिक सामाजिकरण से भिन्न , द्वितीयक समाजीकरण की संस्था की तरह स्कूल राष्ट्र के अतीत का स्वीकृत ज्ञान बच्चों को देता है । किसी भी देश में प्रचलित परिस्थितियों के अनुसार यह भूमिकाएं कानून के पालन से लेकर युद्ध के समय देश के लिए मरने तक की हो सकती है ।

  गद्यांश  के संदर्भ में ' अंतस ' अर्थ है  :

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

अधिकांश देशों में शिक्षा की आधुनिक राष्ट्रीय प्रणाली सैद्धांतिक और कागजी स्तर पर बच्चों के भौतिक बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है , लेकिन व्यवहार में स्कूली शिक्षा विरले ही ऐसे मौके और बौद्धिक साधन देती है , जिससे बच्चे अपने सामाजिकृत अन्तस पर विचार कर पाए । साधारणतः शिक्षा की ये प्रणालियां बच्चों की चिंतनपरक क्षमताएं विकसित करने की  बजाए उनमें वफादार नागरिक के लक्षणों को परिष्कृत करने में लगी रहती है । जहां तक अतीत की पढ़ाई से संबंध है विभिन्न शिक्षा प्रणालियां बच्चों को एक स्वीकृत राष्ट्रीय अतीत में समाजिकृत करने का कार्य करती है । परिवार में संपन्न होने वाली प्राथमिक सामाजिकरण से भिन्न , द्वितीयक समाजीकरण की संस्था की तरह स्कूल राष्ट्र के अतीत का स्वीकृत ज्ञान बच्चों को देता है । किसी भी देश में प्रचलित परिस्थितियों के अनुसार यह भूमिकाएं कानून के पालन से लेकर युद्ध के समय देश के लिए मरने तक की हो सकती है ।

" जहां तक अतीत की पर हाय से संबंध है ,  " वाक्यांश में रेखांकित शब्द किस विषय की ओर संकेत कर रहा है  ?

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

अधिकांश देशों में शिक्षा की आधुनिक राष्ट्रीय प्रणाली सैद्धांतिक और कागजी स्तर पर बच्चों के भौतिक बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है , लेकिन व्यवहार में स्कूली शिक्षा विरले ही ऐसे मौके और बौद्धिक साधन देती है , जिससे बच्चे अपने सामाजिकृत अन्तस पर विचार कर पाए । साधारणतः शिक्षा की ये प्रणालियां बच्चों की चिंतनपरक क्षमताएं विकसित करने की  बजाए उनमें वफादार नागरिक के लक्षणों को परिष्कृत करने में लगी रहती है । जहां तक अतीत की पढ़ाई से संबंध है विभिन्न शिक्षा प्रणालियां बच्चों को एक स्वीकृत राष्ट्रीय अतीत में समाजिकृत करने का कार्य करती है । परिवार में संपन्न होने वाली प्राथमिक सामाजिकरण से भिन्न , द्वितीयक समाजीकरण की संस्था की तरह स्कूल राष्ट्र के अतीत का स्वीकृत ज्ञान बच्चों को देता है । किसी भी देश में प्रचलित परिस्थितियों के अनुसार यह भूमिकाएं कानून के पालन से लेकर युद्ध के समय देश के लिए मरने तक की हो सकती है ।

गद्यांश में किस संस्था को बच्चों के समाजीकरण की द्वितीयक संस्था कहा गया है ?

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अधिकांश देशों में शिक्षा की आधुनिक राष्ट्रीय प्रणाली सैद्धांतिक और कागजी स्तर पर बच्चों के भौतिक बौद्धिक विकास के लिए प्रतिबद्ध होती है , लेकिन व्यवहार में स्कूली शिक्षा विरले ही ऐसे मौके और बौद्धिक साधन देती है , जिससे बच्चे अपने सामाजिकृत अन्तस पर विचार कर पाए । साधारणतः शिक्षा की ये प्रणालियां बच्चों की चिंतनपरक क्षमताएं विकसित करने की  बजाए उनमें वफादार नागरिक के लक्षणों को परिष्कृत करने में लगी रहती है । जहां तक अतीत की पढ़ाई से संबंध है विभिन्न शिक्षा प्रणालियां बच्चों को एक स्वीकृत राष्ट्रीय अतीत में समाजिकृत करने का कार्य करती है । परिवार में संपन्न होने वाली प्राथमिक सामाजिकरण से भिन्न , द्वितीयक समाजीकरण की संस्था की तरह स्कूल राष्ट्र के अतीत का स्वीकृत ज्ञान बच्चों को देता है । किसी भी देश में प्रचलित परिस्थितियों के अनुसार यह भूमिकाएं कानून के पालन से लेकर युद्ध के समय देश के लिए मरने तक की हो सकती है ।

शिक्षा प्रणालियों को किस बात के प्रति प्रतिबद्ध होना चाहिए ? 

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

' अवगुण ' में कौन -सा उपसर्ग प्रयुक्त हुआ है ? 

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

' प्रतिकूल ' का विपरीतार्थी शब्द है  :  

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नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़ें तथा पूछे गए प्रश्न के लिए सबसे उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए ।

यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

' तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं ' व्याख्यान से अभिप्राय है : 

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यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

व्यक्ति के निर्माण की कुंजी किसमें निहित है ? 

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यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

लेखक ने किस बात को असभव बताया है? 

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यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

शरीर को बलवान बनाने की इच्छा रखने वाले को क्या करना चाहिए ? 

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यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना कौन सी नहीं है ? 

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यदि आप किसी अवगुण को दूर करना चाहते हैं , तो उससे दूर रहने के लिए दृढ़ संकल्प करना छोड़िए , क्योंकि जब आप उससे दूर - दूर रहने की कसमें खाते हैं , तब भी आप उसी का चिंतन करते हैं । संसार में प्रत्येक कार्य अनेक कारणों से होता है । यदि दूसरे कारण एकदम प्रतिकूल हो तो अकेली भावना क्या करेगी ? कोई तरुण  अपने शरीर को बलवान बनाना चाहता है । खाने-पीने के साधारण नियमों का ख्याल नहीं करता , स्वच्छ वायु में नहीं सोता , व्यायाम नहीं करता , केवल भावना के ही बल पर बलवान होना चाहता है , यह असंभव है । भावना अपना काम करती है , किंतु अकेली भावना खाने-पीने , स्वच्छ वायु और व्यायाम सभी की जगह नहीं ले सकती । सभी भावनाओं में श्रेष्ठ भावना एक ही है जिसे सभी धर्मों ने प्रमुख माना है सभी के प्रति मैत्री , गुणियों के प्रति-श्रद्धा , दुखियों के प्रति दया ,भावना के इन्हीं श्रेष्ठ पक्षों को अपनाने का प्रयत्न और अभ्यास व्यक्ति के निर्माण की कुंजी है ।

बुरी आदत छोड़ने का दृढ़ संकल्प करने पर भी बार-बार  असफलता क्यों मिलती है ? 

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